इस विधि को एक सप्ताह तक करने से आप अपना जीवन बदल सकते हैं
दोस्तों हमारे आसपास के अधिकांश लोग समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हम सभी नकारात्मक लोगों और परिवेश से आच्छादित हैं। लेकिन जीवन इस बारे में नहीं है। यह नकारात्मकता कुछ भी नहीं है यह सिर्फ हमारे द्वारा बनाया गया…
जो मांगता ही चलता है….
एक शहर में एक नई दुकान खुली। जहां कोई भी युवक जाकर अपने लिए एक योग्य पत्नी ढूंढ़ सकता था। एक युवक उस दुकान पर पहुंचा। दुकान के अंदर उसे दो दरवाजे मिले। एक पर लिखा था, युवा पत्नी; और…
ऐसी क्या बात थी बुद्ध में कि आज असंख्य लोग उनकी वंदना करते हैं
बुद्ध कितने सरल दिखते हैं, तन पर एक मात्र वस्त्र, हाथ में एक मात्र भिक्षापात्र। पर ऐसी क्या बात थी उनमें कि आज असंख्य लोग उनकी वंदना करते हैं। असंख्य लोग उनके पथ का अभ्यास करते हैं। ऐसी क्या बात…
मनुष्य का पूरा जीवन एक गहन तीव्र इच्छा है – ओशो
जमीन के इंच—इंच पर और प्रकृति के इंच—इंच पर और विश्व के इंच—इंच पर बनाने वाले की छाप है। यहां एक भी चीज निष्प्रयोजन नहीं मालूम पड़ती। और प्रत्येक चीज के भीतर एक गहन अनुपात है। अगर हम इनकार करे…
विकास की अंतिम संभावना, विकास का जो अंतिम रूप है, विकास की जो हम कल्पना कर सकते हैं, वह ईश्वर है।
यह जगत भी अपने समस्त रूपों में एक गहन इच्छा की सूचना देता है। यहां कोई भी चीज अकारण होती मालूम नहीं हो रही है। यहां प्रत्येक चीज विकासमान होती मालूम पड़ती है। डार्विन ने जब पहली बार विकास का,…
हमारी भौतिक देह के साथ और छह काया जुड़ी हुई है
वास्तव में हमारी भौतिक देह के साथ और छह काया जुड़ी हुई है। उसमें से जो तीसरा शरीर जो है वह शूक्ष्म शरीर है। महावीर कहते थे,”वह जो सूक्ष्म शरीर है उस मे सूखी रेखाए बन जाती है उसकी ,जो…
वुल्फस मैसिंग के जीवन की अविश्वनीय घटना जो एक चमत्कार से कम नहीं |
1910 में जर्मनी की एक ट्रेन में एक पन्द्रह-सोलह वर्ष का युवक बैंच के नीचे छिपा हुआ था। उसके पास टिकट नहीं था। वह घर से भाग खड़ा हुआ है। उसके पास पैसा भी नहीं है। फिर तो बाद में…
सुख में जीना, सुख मांगना मत…..!
जो भी हो, उसमें खोज करना कि सुख कहां मिल सकता है, कैसे मिल सकता है। तब एक रूखी सूखी रोटी भी सुख दे सकती है, अगर तुम्हें लेने का पता है। तब साधारण सा जल भी गहरी तृप्ति बन…
क्या अंतर्दृष्टि से सब कुछ पाया जा सकता है ?
अब तक इस जगत में जितनी भी परम ज्ञान की बातों का जन्म हुआ है, वे कोई भी बातें तर्क से पैदा नहीं हुईं; वे सभी बातें अंतर्दृष्टि से पैदा हुई हैं। चाहे आर्किमिडीज अपने टब में बैठ कर स्नान…
न तुम्हारे भीतर कुछ बुरा है न तुम्हारे भीतर कुछ भला है। तुम तो मात्र ऊर्जा हो – ओशो
न तुम्हारे भीतर कुछ बुरा है न तुम्हारे भीतर कुछ भला है। तुम तो मात्र ऊर्जा हो…. ऊर्जा अनेक रूपों में प्रकट हो सकती है। ऊर्जा एक सीढ़ी है। लेकिन सीढ़ी का जो नीचा से नीचा पायदान है, वह भी…