आनंदमग्न होने की विधि – ओशो
मनुष्य दो ढंग से जी सकता है। या तो अस्तित्व से अलग-थलग, या अस्तित्व के साथ एकरस। अलग-थलग जो जीएगा, दुख में जीएगा–चिंता में, संताप में। यह स्वाभाविक है। क्योंकि अस्तित्व से भिन्न होकर जीने का अर्थ है: जैसे कोई…
मनुष्य का पूरा जीवन एक गहन तीव्र इच्छा है – ओशो
जमीन के इंच—इंच पर और प्रकृति के इंच—इंच पर और विश्व के इंच—इंच पर बनाने वाले की छाप है। यहां एक भी चीज निष्प्रयोजन नहीं मालूम पड़ती। और प्रत्येक चीज के भीतर एक गहन अनुपात है। अगर हम इनकार करे…
विकास की अंतिम संभावना, विकास का जो अंतिम रूप है, विकास की जो हम कल्पना कर सकते हैं, वह ईश्वर है।
यह जगत भी अपने समस्त रूपों में एक गहन इच्छा की सूचना देता है। यहां कोई भी चीज अकारण होती मालूम नहीं हो रही है। यहां प्रत्येक चीज विकासमान होती मालूम पड़ती है। डार्विन ने जब पहली बार विकास का,…
हमारी भौतिक देह के साथ और छह काया जुड़ी हुई है
वास्तव में हमारी भौतिक देह के साथ और छह काया जुड़ी हुई है। उसमें से जो तीसरा शरीर जो है वह शूक्ष्म शरीर है। महावीर कहते थे,”वह जो सूक्ष्म शरीर है उस मे सूखी रेखाए बन जाती है उसकी ,जो…
शरीर सुंदर वाहन है, इसकी निंदा न करें। – ओशो
यहां बहुत सी बुनियादी बातें समझने जैसी हैं। एक, तुम तुम्हारा शरीर हो। अभी तुम सिर्फ शरीर हो, और कुछ नहीं हो। तुम्हें आत्मा वगैरह के बारे में ख्याल होंगे, लेकिन वे खयाल ही हैं। जैसे तुम अभी हो, शरीर…
बंदरों की ज़िद्द
एक बार कुछ वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही मजेदार प्रयोग किया.. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे.. जैसा की अनुमान था,…
जीवन में विरोधाभास
एक आदमी में हम देखते हैं कि वह चोर भी है, बेईमान भी है, फिर भी सफल हो रहा है। तो हमें बड़ी अड़चन होती है कि क्या मामला है? क्या भगवान चोरों और बेईमानों को सफल करता है? और…
ज्ञानी ज्ञान से और इच्छादि से मुक्त करते हैं
बहाउद्दीन एक सूफी फकीर हुआ। जिस महानगरी में वह था, उसका सबसे बड़ा धनी व्यक्ति बहाउद्दीन के पास आता था और कहता था कि तुम सूर्य हो पृथ्वी पर! अंधेरा तुम्हें देख कर दूर हट जाता है! बहाउद्दीन हंसता था।…
रोने- रोने में फर्क है। दर्द – दर्द में भेद है
लोग समझने लगे कि परमात्मा की तरफ जाने का मतलब बड़े उदास होकर जाना, मुर्दा होकर जाना, लाश की तरह जाना। रोने- रोने में फर्क है। दर्द – दर्द में भेद है। एक तो रोना है जो दु:ख से निकलता…