इस विधि को एक सप्ताह तक करने से आप अपना जीवन बदल सकते हैं
दोस्तों हमारे आसपास के अधिकांश लोग समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हम सभी नकारात्मक लोगों और परिवेश से आच्छादित हैं। लेकिन जीवन इस बारे में नहीं है। यह नकारात्मकता कुछ भी नहीं है यह सिर्फ हमारे द्वारा बनाया गया…
सोचना-विचारना और जीना- ओशो
मनुष्य का विकास मस्तिष्क की तरफ हुआ है। मनुष्य मस्तिष्क से भरा है गौतम बुद्ध की वाणी अनूठी है। और विशेषकर उन्हें, जो सोच-विचार, चिंतन-मनन, विमर्श के आदी हैं। हृदय से भरे हुए लोग सुगमता से परमात्मा की तरफ चले…
आनंदमग्न होने की विधि – ओशो
मनुष्य दो ढंग से जी सकता है। या तो अस्तित्व से अलग-थलग, या अस्तित्व के साथ एकरस। अलग-थलग जो जीएगा, दुख में जीएगा–चिंता में, संताप में। यह स्वाभाविक है। क्योंकि अस्तित्व से भिन्न होकर जीने का अर्थ है: जैसे कोई…
प्रेम है स्टेट ऑफ माइंड
प्रेम स्वभाव की बात है। संबंध की बात नहीं है। प्रेम रिलेशनशिप नहीं है। प्रेम है स्टेट ऑफ माइंड मनुष्य के व्यक्तित्व का भीतरी अंग है। प्रेमपूर्ण आदमी प्रेमपूर्ण होता है। आदमी से कोई संबंध नहीं है उस बात का।…
आदमी अकेला उसके खिलाफ लड़ता है। इसलिए थकता है, टूटता है, जराजीर्ण होता है। अगर जीवन एक संघर्ष है तो यह होगा ही।
संसार की पूरी दौड़ के बाद आदमी के चेहरे को देखो, सिवाय थकान के तुम वहां कुछ भी न पाओगे। मरने के पहले ही लोग मर गए होते हैं। बिलकुल थक गए होते हैं। विश्राम की तलाश होती है कि…
जो मांगता ही चलता है….
एक शहर में एक नई दुकान खुली। जहां कोई भी युवक जाकर अपने लिए एक योग्य पत्नी ढूंढ़ सकता था। एक युवक उस दुकान पर पहुंचा। दुकान के अंदर उसे दो दरवाजे मिले। एक पर लिखा था, युवा पत्नी; और…
ऐसी क्या बात थी बुद्ध में कि आज असंख्य लोग उनकी वंदना करते हैं
बुद्ध कितने सरल दिखते हैं, तन पर एक मात्र वस्त्र, हाथ में एक मात्र भिक्षापात्र। पर ऐसी क्या बात थी उनमें कि आज असंख्य लोग उनकी वंदना करते हैं। असंख्य लोग उनके पथ का अभ्यास करते हैं। ऐसी क्या बात…
विकास की अंतिम संभावना, विकास का जो अंतिम रूप है, विकास की जो हम कल्पना कर सकते हैं, वह ईश्वर है।
यह जगत भी अपने समस्त रूपों में एक गहन इच्छा की सूचना देता है। यहां कोई भी चीज अकारण होती मालूम नहीं हो रही है। यहां प्रत्येक चीज विकासमान होती मालूम पड़ती है। डार्विन ने जब पहली बार विकास का,…
लाओत्से और गुरजिएफ की अद्भुत साधना
झेन फकीर अपने साधकों से कहते रहे हैं, जब भी कोई साधक आएगा, तो झेन फकीर उससे कहते हैं कि तू ब्रह्म और आत्मा की बात मत कर। कुछ दिन हम तुझसे जो कहते हैं, वह कर। लकड़ी फाड़, पानी…
क्रांतिकारी और अद्भुत संत – कबीर
यह कबीर के संबंध में पहली बात समझ लेनी जरूरी है। वहां पांडित्य का कोई अर्थ नहीं है। कबीर खुद भी पंडित नहीं हैं। कहा है कबीर ने: मसि कागज छूयौ नहीं, कलम गही नहिं हाथ।’-कागज कलम से उनकी कोई…