एक गर्भवती हिरनी की प्रेरक कहानी
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी । वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी , कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी । उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये ।
वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी ।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी ।
उसने दाये देखा , तो एक शिकारी तीर का निशाना , उस की तरफ साध रहा था । घबराकर वह दाहिने मुड़ी , तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था । सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुड़ी , तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़ , अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी । कुदरत का कारिष्मा देखिये । बिजली चमकी और तीर छोडते हुए , शिकारी की आँखे चौंधिया गयी । उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते , शेर की आँख में जा लगा , शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा । और शिकारी , शेर को घायल ज़ानकर भाग गया । घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी । हिरनी ने शावक को जन्म दिया ।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है , जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते । तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । अन्तत: यश , अपयश , हार , जीत , जीवन , मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है । हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए ।
कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे ,
कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे ।दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं ,
एक हमें प्रेरित करेगा और
दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा ।।
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