आदमी बहुत अदभुत है। जन्म-जन्म तक शब्दों में जीता है|
एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक ने बहुत धन कमा लिया। उसने सोचा कि अब विश्राम करें। तो एक गांव में उसने शौकिया जमीन ले ली। खेती-बाड़ी करके कुछ कमाने का सवाल न था। कमाई अब जरूरत से ज्यादा हो चुकी थी।…
कर्मो की दौलत – एक राजा और उसकी दौलत की कहानी
एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत इकट्ठा करके( एकतरह शाही खजाना ) आबादी से बाहर जंगल एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने मे सारे खजाने को खुफिया तौर पर छुपा दिया था खजाने…
एक योद्धा और चूहा की अद्भुत कहानी
मैंने सुना है, ऐसा हुआ, जापान में एक बहुत बड़ा योद्धा था। और योद्धा प्रासंगिक है यहां। उसकी तलवार चलाने की कला का कोई मुकाबला न था। जापान में उसकी धाक थी। उसके नाम से लोग कांपते थे। बड़े-बड़े तलवार…
जीवन में विरोधाभास
एक आदमी में हम देखते हैं कि वह चोर भी है, बेईमान भी है, फिर भी सफल हो रहा है। तो हमें बड़ी अड़चन होती है कि क्या मामला है? क्या भगवान चोरों और बेईमानों को सफल करता है? और…
जिस दिन ह्रदय – चक्र पर आएगी तुम्हारी ऊर्जा, तुम पाअोगे, भर गये तुम प्रेम से
जिस दिन ह्रदय – चक्र पर आएगी तुम्हारी ऊर्जा, तुम पाअोगे, भर गये तुम प्रेम से | तुम जहाँ भी उठोगे, बैठोगे, तुम्हारे चारों तरफ एक हवा बहने लगेगी प्रेम की | दूसरे लोग भी अनुभव करेंगे कि तुममें कुछ…
भोजन और काम ऊर्जा
तिब्बतियों के पास एक विशेष घंटा होता है, शायद आपमें से किसी ने देखा हो। वह घंटा ऐसा लटकाने वाला नहीं होता। बर्तन की तरह बड़ा होता है, और बजाने को उसके अंदर एक गोल डंडा घुमाकर चोट करनी पड़ती…
एक फ़क़ीर और धन कुबेर की रोचक कहानी
एक आदमी के पास बहुत धन था। इतना कि अब और धन पाने से कुछ सार नहीं था। जितना था, उसका भी उपयोग नहीं हो रहा था। मौत करीब आने लगी थी। न बेटे थे, न बेटियां थीं, कोई पीछे…
मनुष्य की त्रिमूर्ति -विज्ञान, काव्य और धर्म
यह मनुष्य की त्रिमूर्ति है–विज्ञान, काव्य, धर्म। ये मनुष्य के तीन चेहरे हैं। इन किसी एक चेहरे से मत बंध जाना। इन तीनों को जानना; और तीनों से मुक्त भी अपने को जानना। इन तीनों को जानना; और जानने वाला…
जीवन स्थिर नहीं है – ओशो
आपकी दृष्टि हमेशा बदलती रहती है, स्थिर नहीं है। तो आज इस क्षण में, महावीर और कृष्ण, मोहम्मद और क्राइस्ट इनके बारे में आपके क्या विचार हैं, क्या दृष्टि हैं? जीवन स्थिर नहीं है। अस्तित्व में सिर्फ एक चीज…
हमारे दो हिस्से हैं, एक हमारा स्वभाव, जो मैं हूं| और एक मेरे कर्म का जगत, जो मैं करता हूं |
यह बहुत कठिन सूत्र है। अगर इसकी पहली व्याख्या–जैसा कि आमतौर से की जाती है–की जाए, तो एकदम साधारण सूत्र है। लेकिन मैं जो इसमें देखता हूं, वह बहुत असाधारण है। तो उसे थोड़ा पकड़ने में दिक्कत पड़ेगी। आदमी…